
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के शंखनाद से पहले ही NDA के गलियारों में सीट-सियासत ने हलचल मचा दी है। जहां बीजेपी और जेडीयू ने लगभग सीट बंटवारे का फॉर्मूला तैयार कर लिया है, वहीं चिराग पासवान ने पूरे फार्मूले को ही ‘पासवान-प्रूफ’ बनाने की ज़िद ठान ली है।
चिराग की डिमांड: “2024 में जीते थे, अब 2025 में गिनते हैं!”
भाई साहब को चाहिए 45 से 54 सीटें, जबकि NDA के पास देने के लिए बचे हैं सिर्फ 25-26 “कैंडिड” सीटें!
चिराग का तर्क – “हमारे पास 5 लोकसभा सीटें हैं, कुछ तो बड़ी बात होगी!”
LJP (रामविलास) के पास फिलहाल बिहार में 5 लोकसभा सांसद हैं — हाजीपुर, जमुई, वैशाली, समस्तीपुर और खगड़िया। इन इलाकों में औसतन 6 विधानसभा सीटें आती हैं। चिराग पासवान चाहते हैं कि हर लोकसभा सीट से कम से कम 2 विधानसभा सीटें मिलें, और बाकी सीटें बिहार के अन्य “VIP” इलाकों से ऑफर की जाएं।
सियासी सूत्र बताते हैं कि NDA ने टॉप परफॉर्मिंग विधानसभा क्षेत्रों की लिस्ट चिराग को भेज दी है, लेकिन LJP की Wishlist में कई ऐसी सीटें हैं जहां पहले से जेडीयू और बीजेपी की “पहुंच” है।
सीटों पर नहीं, सीनियरिटी पर भी विवाद!
रामविलास पासवान की पुण्यतिथि से एक दिन पहले हुई मीटिंग में चिराग ने बरहमपुर (हुलास पांडेय), गोविंदगंज (राजू तिवारी) और हिसुआ (धीरेंद्र मुन्ना) जैसी सीटों को लेकर “स्पेशल रिक्वेस्ट” डाली। लेकिन जेडीयू वाले बोले – “इतना एक्सक्लूसिव सीटिंग अरेंजमेंट हमारे बस की बात नहीं!”
बीजेपी की कोशिश – “चिराग को मनाओ, नीतीश को समझाओ”
बीजेपी अब mediator mode में है। ना चिराग को नाराज़ करना चाहती है, ना नीतीश कुमार को। 2020 में अकेले लड़कर LJP ने NDA को नुकसान पहुंचाया था, अब BJP वही गलती दोहराना नहीं चाहती।

भीतर की बात: चिराग अब खुद को “दलित + युवा” का कंबो नेता मानते हैं, और चाहते हैं कि NDA उन्हें उसी सम्मान से देखे।
NDA का मैसेज साफ – “Demand legit है, लेकिन Limit भी है!”
चिराग पासवान को 25-26 सीटें ऑफर की गई हैं। ये भले उनकी डिमांड से काफी कम हैं, लेकिन राजनीतिक “रिएलिटी चेक” यही कहता है कि यही उनके लिए honorable comeback होगा। BJP ने उन्हें गठबंधन में सम्मान और भावनात्मक जुड़ाव बनाए रखने का आश्वासन दिया है।
“अगर चिराग ज्यादा तेज़ी दिखाएंगे, तो कहीं NDA की गाड़ी पटरी से ना उतर जाए!”
बिहार की राजनीति में सब कुछ संभव है — सीटें बढ़ती हैं, घटती हैं, और कभी-कभी गठबंधन ही “मर्ज” हो जाता है! लेकिन इस बार NDA को एकजुट रहना ज़रूरी है, वरना विपक्ष का फायदा तय है।
नवाबी ठाठ का वसीक़ा: 9.70 रुपये की शाही पेंशन और 500 रुपये का पेट्रोल